पा लिया मैंने सब सुख
खो दिया ग़म का सागर
जाओ दुख अब ना तुम
मुझको दे पाओगे
जबसे चलने लगा राह अपनी कोई
तबसे दिल में नहीं आस पलती कोई
आस ही जो नहीं, कैसे तड़पाओगे
हाथ से छू कर मुझे अब न कुछ है देखना
सब के सब हैं क्षणिक, शोख़-गुल-आश्ना
चाँद-तारों से भी अब ना मुझे ललचाओगे
राहुल उपाध्याय । 14 नवम्बर 2023 । रीवा जाते हुए
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