ख़ौफ़ है कि
वह कमसीन है
तो तुम्हें प्यार है नहीं
ख़ौफ़ है कि
उसका परिवार है
तो तुम्हें प्यार है नहीं
ख़ौफ़ है कि
वह सत्तर पार है
तो तुम्हें प्यार है नहीं
ख़ौफ़ है कि
वह बीमार है
तो तुम्हें प्यार है नहीं
ख़ौफ़ है कि
उस पे उधार है
तो तुम्हें प्यार है नहीं
ख़ौफ़ है कि
वह बेरोज़गार है
तो तुम्हें प्यार है नहीं
ख़ौफ़ है कि
वो दिलदार है
तो तुम्हें प्यार है नहीं
ख़ौफ़ है कि
होनी हार है
तो तुम्हें प्यार है नहीं
ख़ौफ़ है कि
पड़नी मार है
तो तुम्हें प्यार है नहीं
ख़ौफ़ है
चूँकि
तजुर्बों का भार है
जो देते ये उतार हैं
उनकी सीमा ही अपार है
राहुल उपाध्याय । 4 नवम्बर 2023 । सिंगापुर
0 comments:
Post a Comment