Tuesday, November 21, 2023

पहले भी यूँ तो बरसे थे बादल

पहले भी यूँ तो बरसे थे बादल

साथी मगर कोई ऐसा नहीं था

हाथों में हाथ डाल कोई

संग-संग मेरे यूँ भागा नहीं था 


पहले भी यूँ तो गाए थे गाने

पर दूजे से सुर मिल पाता नहीं था 

शब्द भी थे उसके आधे-अधूरे

पर उसके जैसा कोई गाता नहीं था


पहली मुलाक़ात में होंगी ये बातें 

दिल ने कभी कुछ सोचा नहीं था

पहली घड़ी और आखरी मिनट बीच 

मंजर यूँ बदलेंगे सोचा नहीं था


क़िस्मत है मेरी कितनी सुहानी

वो सब हुआ जो होना नहीं था

पाया है मैंने ज़रूरत से ज़्यादा 

जबकि वो चाँदी-सोना नहीं था


राहुल उपाध्याय । 21 नवम्बर 2023 । लखनऊ 



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