Thursday, November 30, 2023

कल रात तुम सपने में आई थी

कल रात तुम सपने में आई थी

कहने लगी

तुमसे मिलती तो कितना अच्छा होता

तुम इतने दूर से आए और मैं मिल न सकी

मैंने कितने सपने संजो के रखे थे

गोवा जाते

गोहाटी जाते

करण जोहर की फ़िल्मों की तरह 

हसीं रास्तों से गुजरते

मैं शिफ़ॉन साड़ी में

तुम पीले कुर्ते में कितने जँचते

किसी फ़ॉयर प्लेस के पास बैठ

हम घंटों बातें करते 

तुम मेरे बालों में अपनी उँगलियाँ फेरते

मेरे तमतमाए ललाट को चूमते

अपने होंठ मेरे होंठों पर रखना चाहते 

और मैं मना कर देती

मेरे साथ चलता है मेरा एक और रूप

वो न हो तो मैं नहीं 

वो न हो तो मैं भागूँ नहीं 

वो न हो तो जन्नत खोजूँ नहीं 

मैं ब्याहता हूँ 


हम नहीं मिले 

यह अच्छा ही हुआ 

मिलते तो

जन्नत का भ्रम टूट जाता

चाहत ख़त्म हो जाती

तुम सपने में न आती


राहुल उपाध्याय । 1 दिसम्बर 2023 । सिंगापुर 




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