कोई मंजर दिल को छू पाता नहीं
बेखुदी में भी वतन भाता नहीं
जो था हाल है वही दशकों के बाद
कैसे कह दूँ गाँव से जी घबराता नहीं
कल जो दौड़े थे शहर से गाँव को
उनको सुख कोई नज़र आता नहीं
चल दिया था छोड़ के जिस देश को
उससे अब मेरा कोई नाता नहीं
राहुल उपाध्याय । 20 नवम्बर 2023 । लखनऊ
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