Saturday, June 4, 2022

शीरीं-फरहाद

न कहती है, न लिखती है 

बस पोस्ट मेरी पढ़ती है 

मेरे प्रेमिका

मेरी पाठिका बन

मुझे उससे जोड़ रखती है 


डीपी बदलती है 

ऑनलाइन आती-जाती रहती है 

अपने फ़र्ज़ की सीमाओं में बँध कर भी

मुझे उससे जोड़ रखती है 


और भी बहुत कुछ वो करती है 

मेरे स्टेटस पर आँख रखती है 

मेरी प्लेलिस्ट से गीत सुनती है 

मुझे उससे जोड़ रखती है 


मैं कहीं अकेला ना पड़ जाऊँ

इतना ख़्याल वो रखती है 

मुझे उससे जोड़ रखती है 


हो इश्क़ 

और न हो ख़तरा 

वो इश्क़ इश्क़ नहीं है 


है इश्क़ ख़ास ऐसा

उसका और मेरा

कि चाहकर भी बात नहीं है 

बोलो क्या हम 

शीरीं-फरहाद नहीं है?


राहुल उपाध्याय । 4 जून 2022 । सिएटल 








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1 comments:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

आप तो सबसे ग्रेट हो 😄