Friday, June 24, 2022

तो आँख लग भी जाए

ग़म है फ़िज़ा में 

न मिलती दवा है

वो पास आए

दिल से लगाए

तो आँख लग भी जाए


दर्द है, जवाँ है 

न मिलती दवा है

वो पास आए

दिल से लगाए

तो आँख लग भी जाए


हालात भी कुछ ठीक नहीं हैं हमारे 

क्या फ़ायदा जब डूबे हों चाँद-सितारे 

किससे कहें हम, किसको कहें हम

वो पास आए

दिल से लगाए

तो आँख लग भी जाए


हाँ आज भी रखते हैं हम आस उनसे

जो हो गए दूर बन के ख़िज़ाँ चमन से

जो रहते ख़फ़ा हैं, न करते वफ़ा हैं

वो पास आए

दिल से लगाए

तो आँख लग भी जाए


दाग भी लग गए हैं जो अब ना धुलेंगे 

राज़ भी दब गए हैं जो अब ना खुलेंगे

हमें इससे क्या है, हमें तो पता है

वो पास आए

दिल से लगाए

तो आँख लग भी जाए


राहुल उपाध्याय । 24 जून 2022 । सिएटल 


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