Saturday, June 25, 2022

मैं निराला हूँ

मैं निराला नहीं हूँ 

कि तत्सम भाषा में

प्रकृति का सौन्दर्य गूँथूँ 


मुझे 

प्रभावित करती हैं 

ख़बरें 

ख़ासकर बुरी ख़बरें 

मुझे 

दिखते हैं 

चारों ओर ध्वस्त होते मंजर


मैं

चाहकर भी

शहद नहीं देख सकता

शहद नहीं घोल सकता


मैं 

जेल पेन से कविता नहीं लिखता 


मैं 

सफ़ेद पन्ने काले करता हूँ 


मैं निराला नहीं हूँ 

मैं निराला हूँ 


राहुल उपाध्याय । 25 जून 2022 । सिएटल 




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