Wednesday, March 15, 2023

मैं तो इक बैंक हूँ


मैं तो इक बैंक हूँ, दवाओं का बाज़ार नहीं 

भूल जा, जाने दे, मैं तेरी सरकार नहीं 


वो तो कोई और है वादों से मुकर जाते हैं

कुर्सी मिलते ही इरादे भी बदल जाते हैं 

तेरे दुखों का, सवालों का मैं ज़िम्मेदार नहीं 


यूँ तो सदियों से ज़माने ने ज़ुल्म ढाए हैं 

अपने ही आप हज़ारो ही ज़ख़्म खाए हैं 

मैंने क्या जुर्म किया, किया कोई वार नहीं 


मेरे दामन में जो तूने फूल जमा रखे थे

वो सुरक्षित तेरे आकाओं ने बना रखे हैं 

मैं तो अब ख़ाक हूँ, मेरी तुम्हें दरकार नहीं 


राहुल उपाध्याय । 15 मार्च 2023 । सिएटल 





इससे जुड़ीं अन्य प्रविष्ठियां भी पढ़ें


0 comments: