न तूने किए
न मैंने किए
किए वादे
न पूरे किए
मोहलत कहाँ
जो छूटे लत मोह की
मोहल्ले में मकाँ
सबने किए
गिले इतने कि
क्या कहूँ
कम किए
जितने किए
लत ग़लत राह की
कोई नहीं
उलटे-सीधे काम भी
सीधे-सीधे किए
एक न एक दिन
मिलेगा ज़रूर
गुनाह मैंने
जम के किए
राहुल उपाध्याय । 19 अगस्त 2020 । सिएटल
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सुन्दर सृजन
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