देखो भूला ना करो, मास्क लगाया करो
हम न बोलेंगे कभी, मास्क बिन न आया करो
जो कोई बीमार हुआ, सोचो क्या हाल होगा
इस ख़ता पर तेरी, कितना नुक़सान होगा
खुद भी समझो ज़रा, औरों को समझाया करो
जान पर मेरी बने, ऐसी क्या मर्ज़ी तेरी
क्या मैं दुखी रहूँ, यही चाहत है तेरी
तो फिर बात सुनो, ऐसी ज़िद ना करो
तेरी हँसी है हसीं, माना क़ातिलाना सही
तेरे अधरों पे मुझे, मिली जन्नत की ख़ुशी
लेकिन आज रूको ज़रा, यूँ क़ातिल ना बनो
क्या कहेगा ये जहाँ, बुरा जो इतना फँसा
हर तरफ़ त्राहि-त्राहि, यहाँ से लेकर वहाँ
अब तो तुम मान जाओ, इतने पागल ना बनो
(हसरत जयपुरी से क्षमायाचना सहित)
राहुल उपाध्याय । 1 अगस्त 2020 । सिएटल
1 comments:
वाह!!बढियाँ
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