दोस्त ढूँढने चला
तो वो डिक्शनरी में मिला
न तेवर बदले
न ज़ेवर बदले
हर मौसम
पेज नम्बर 328 पर मिले
जब चाहूँ
देख लूँ
छू लूँ
सीने से लगा लूँ
उसे
मैं भी वहीं कहीं था
पर पहले वो था
बाद में मैं
पेज नम्बर 549 पर
राहुल उपाध्याय । 25 अगस्त 2020 । सिएटल
दोस्त ढूँढने चला
तो वो डिक्शनरी में मिला
न तेवर बदले
न ज़ेवर बदले
हर मौसम
पेज नम्बर 328 पर मिले
जब चाहूँ
देख लूँ
छू लूँ
सीने से लगा लूँ
उसे
मैं भी वहीं कहीं था
पर पहले वो था
बाद में मैं
पेज नम्बर 549 पर
राहुल उपाध्याय । 25 अगस्त 2020 । सिएटल
Posted by Rahul Upadhyaya at 8:55 PM
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Labels: intense
2 comments:
सच अब तो पन्नों में ही सिमट रह गयी ही दोस्ती
बहुत सही
वाह :)
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