कहीं पर हवन
कहीं पर अगन
संघर्ष जीवन का
कितना सघन
कहीं पर फूल
कहीं पर शूल
ज़िंदगी का ये
कैसा उसूल
कहीं पर पत्थर
कहीं पर सर
आज की ख़बर
और हैं सब बे-ख़बर
कहीं पर गणेश
कहीं पर नरेश
संवेदना का नहीं
कहीं प्रवेश
गरीब रहा गरीब
और उधर
दुगना पा गया
इंजीनियर मगर
राहुल उपाध्याय । 21 अगस्त 2020 । सिएटल
1 comments:
इंजीनियर भी गरीब हुऐ हैं
कई हैं छिपे नहीं हैं :)
सुन्दर
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