Saturday, August 1, 2020

वर्गीकरण

हमने अपने आप को

कितने खानों में बाँट लिया है

वर्गीकृत कर दिया है


शहीद भी बँट गए हैं

कुछ जुलाई में

कुछ जनवरी में 

तो कुछ अगस्त में याद आते हैं 


यह भी नहीं कि

पूरे महीने याद आए

सबका एक दिन तय है

किसी का 26

किसी का 30

किसी का 15


जैसे दवाइयों की 

एक्सपायरी डेट होती है

वैसे ही

श्रद्धा सुमन की भी


सबको एक ही दिन 

याद कर लेना भी 

यथोचित सम्मान नहीं

कि सबको थोक में निपटा दिया

ज़्यादा दिनों तक खींचना भी

तर्कसंगत नहीं 

त्योहार भी तो मनाने हैं

किसी का जन्मदिन भी मनाना है 


जबसे गुगल लोगों के हाथ आया है

सारा बेड़ा ही गर्क है

न जाने कहाँ-कहाँ से 

इसकी-उसकी जन्मतिथि-पुण्यतिथि 

बटोर लाते है

अब मनाते फिरो 

कभी मोहम्मद रफ़ी 

कभी मीना कुमारी 

कभी प्रेमचंद 

कभी बाल गंगाधर तिलक

कभी कलाम

कभी विश्वेश्वरय्या


माता-पिता का भी

बँटवारा कर दिया गया है

मातृ-दिवस पर

ख़बरदार कि पिता के लिए

कुछ अच्छा कह दिया

याद कर लिया

या कुछ ले आए

पितृ-दिवस पर सिर्फ पिता

राखी पर सिर्फ भाई 


यहाँ भी यही हाल है

कि थोक में निपटाना ठीक नहीं 


इसीलिए हमने खुद को

और बाक़ी सबको 

खानों में बाँट लिया है

बाँट दिया है


मशीन की तरह

तारीख़ बदलते ही

ऑन-ऑफ़ हो जाते हैं


राहुल उपाध्याय । 1 अगस्त 2020 । सिएटल


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