Wednesday, August 26, 2020

मुझ-सा बुरा न कोय

अच्छा हुआ

त्रेतायुग और द्वापरयुग में 

मोबाईल नहीं था


वरना

न रावण मरता

न कंस का संहार होता

न महाभारत होता


व्हाट्सएपी दिग्भ्रमित करते रहते

कोई भी क़दम उठाने से पहले सोचते

बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय

जो मन खोजा अपना, मुझ-सा बुरा न कोय


राहुल उपाध्याय । 26 अगस्त 2020 । सिएटल


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