Saturday, December 12, 2020

ये दवाई ये वैक्सीन मेरे काम की नहीं

I

ये दवाई ये वैक्सीन मेरे काम की नहीं


कैसे कराऊँ क़त्ल किसी बेगुनाह का

हँसता हुआ चराग है अपने समाज का

ऐ काश भूल जाऊँ मगर भूलता नहीं

किस धूम से कटेगा सर बेक़रार का


अपना पता मिले न खबर यार की मिले

दुश्मन को भी ना ऐसी सज़ा आज सी मिले

उनको ख़ुदा मिले है ख़ुदा की जिन्हें तलाश

मुझको बस इक झलक किसी इंसान की मिले


वैक्सीन लगाके भी मुझको ठिकाना न मिलेगा 

ग़म को भूलाने का कोई बहाना न मिलेगा 

हाथ तरसे जिसमें काम को क्या समझूँ उस संसार को

इक जीती बाज़ी हारके मैं ढूँढूँ बिछड़े काम को


दूर निगाहों से आँसू बहाता हूँ यूँही 

कहाँ को जाऊँ मैं मुझे न बुलाता है कोई

ये झूठे वादे छोड़ दो, सारे हथकंडे छोड़ दो

वैक्सीन कोई इलाज नहीं, मुझसे नाता जोड़ लो


(कैफ़ी आज़मी से क्षमायाचना सहित)

राहुल उपाध्याय । 12 दिसम्बर 2020 । सिएटल 

https://youtu.be/LP1D_F1ERQI


इससे जुड़ीं अन्य प्रविष्ठियां भी पढ़ें