Monday, December 28, 2020

शिमला

गिरी शिमला में बर्फ़ 

और यहाँ 

हो रहीं हैं यादें 

गर्म मेरी


वो रोज़ दो घण्टे चलना 

तुम्हारे साथ 

समर हिल के घर से 

जाखू हिल के स्कूल तक

खाना काग़ज़ की थैली में

गर्म भूनी हुई मूँगफलियाँ 

लेना दोनों हथेली जोड़ 

काली बाड़ी का प्रसाद

खींचना नवविवाहित जोड़ों के

मुस्कराहट भरे फ़ोटो 

लौटते वक़्त पकड़ना दौड़ कर

पाँच-पच्चीस की ट्रैन


यदि पढ़ रही हो

ये पंक्तियाँ 

तो

करना मुझे पिंग


न तुम तजना 

अपना परिवेश 

अपना परिवार 

न मैं करूँगा 

मिन्नतें हज़ार 


बस बता देना कि

क्या याद है तुम्हें 

सिसिल होटल के

सामने वाला वो गज़ीबो 

जहाँ मैंने एक-एक कर पी थीं

तुम्हारे माथे पर कस कर बाँधे 

गहरे काले बालों के बीचों-बीच

उजली माँग में मोती सी सजीं

पानी की बूँदें 

जिस दिन हमसे हमारी

ट्रेन छूट गई थी 

और बरसते पानी ने दिए थे हमें 

पल दो पल ठहर

एक दूजे को निहारने को


राहुल उपाध्याय । 28 दिसम्बर 2020 । सिएटल 

गज़ीबो = एक मंडप संरचना, जो कभी-कभी अष्टकोणीय या बुर्ज के आकार का होता है, जिसे अक्सर पार्क, बगीचे या विशाल क्षेत्र में बनाया जाता है।

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3 comments:

Pammi singh'tripti' said...


आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 30 दिसंबर 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

सुशील कुमार जोशी said...

वाह

Chhanda said...

Good one