Wednesday, December 2, 2020

कौन हो तुम

कौन हो तुम?


वह जो मुझसे बड़ी थी

वह जो मुझसे छोटी थी

वह जो स्कूल में थी

वह जो कॉलेज में थी

वह जो देस में थी

वह जो परदेस में थी

वह जो साथ-साथ बढ़ी 

और वह भी जो यूँ ही 

सर-ए-राह चलते-चलते मिली


चाहे रहा साथ पल-दो-पल का

या आठ दिन का

या साल भर का

तुम सबकी सब भली थीं 

चल कर साथ चार क़दम 

कभी आ गई तुम्हारी 

तो कभी मेरी गली थी


तुम याद नहीं 

तुम साँस नहीं 

तुम सुबह नहीं 

तुम शाम नहीं 

तुम धूप नहीं 

तुम छाँव नहीं 

जो आतीं-जातीं रहतीं हैं


तुम एक अहसास हो

जिसकी कोई पहचान नहीं 

जिसका कोई निर्धारित 

समय, अवधि या काल नहीं 


तुम हर उस रंग में हो

जो तुम्हें-मुझे पसन्द है


तुम हर प्रेम गीत में हो

तुम हर मधुर धुन में हो


जब तक मैं हूँ 

तब तक तुम हो

जहाँ-जहाँ मैं हूँ 

वहाँ-वहाँ तुम हो


और तुम हो

इसका पता

सबके सवाल दे रहे हैं


कौन हो तुम?


राहुल उपाध्याय । 2 दिसम्बर 2020 । सिएटल 



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