डॉक्टरों से तुम ये मत पूछो
डॉक्टरों पे क्या गुज़री है
हाँ उनके दिलों से ये पूछो,
अरमानों पे क्या गुज़री है
औरों को बचाते रहते हैं
और ख़ुद बिचारे मर जाते हैं
ये जीने वाले क्या जाने
शमशानों पे क्या गुज़री है
मास्क न लगाया मरीज़ों ने
डॉक्टर सब पहन कर बैठा
तुम घर बैठे क्या जानो
अस्पतालों पे क्या गुज़री है
(क़मर जलालाबादी से क्षमायाचना सहित)
राहुल उपाध्याय । 2 दिसम्बर 2020 । सिएटल
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वाह
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