Friday, December 18, 2020

अरे वैक्सीन, तुझे हमने

अरे वैक्सीन, तुझे हमने

सब दुखों की दवा माना 

बड़ी भूल हुई, अरे हमने

ये क्या समझा, ये क्या जाना


गुणगान तेरा हर रोज़ सुना

छलते रहे हम सादों को

तू आएगी, सुख लाएगी

रटते रहे इन वादों को

हम सा न हो कोई दीवाना


सोचा न था बढ़ जाएँगी

तनहाइयाँ जब रातों की

दुख और हमें दे जाएँगी 

बातें झूठी नेताओं की

ठोकर लगी तब पहचाना


ऐ काश के होती ख़बर

दुख किसे पहुँचाया है

शीशा नहीं, सागर नहीं

मंदिर-सा इक दिल ढाया है

ता-आसमान है वीराना


(मजरूह से क्षमायाचना सहित)

राहुल उपाध्याय । 16 दिसम्बर 2020 । सिएटल 

https://youtu.be/ELGJiLufS5E



इससे जुड़ीं अन्य प्रविष्ठियां भी पढ़ें


0 comments: