Monday, December 7, 2020

डायरी

अच्छा लगता है 

जब वो मेरे सारे मैसेज डिलीट कर देती है 

और मुझसे दोबारा बताने को कहती है 

उस फ़िल्म का नाम जिसे मैंने 

कल ही तो बताया था


अच्छा लगता है 

जब वो कोई आहट होने पर 

बात करते-करते फ़ोन काट देती है


अच्छा लगता है 

जब वो मुझसे घंटो-घंटो बातें करती है 

शेयर करती है 

अपनी हर छोटी-बड़ी ख़ुशी 

अपने सुख-दुख के पल

अपनी आशा-निराशा 


अच्छा लगता है 

कि वो मुझे डायरी समझती है

सहज रहती है 

महफ़ूज़ महसूस करती है

अपना समझती है


अच्छा लगता है

जब वो लिखती है कुछ अच्छा 

और मैं जवाब नहीं दे पाता हूँ 

यह सोचकर कि

ग़लती से कोई पढ़ न ले

और जो मैं कहना चाहता हूँ 

उसे हुबहू वैसा ही समझ ले


राहुल उपाध्याय । 7 दिसम्बर 2020 । सिएटल 


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