ये क्या जगह है दोस्तो
ये कौन सा दयार है
कि कैमरे के सामने
हो रहा उपचार है
ये किस मकाम पर हयात
मुझको लेके आ गई
न मर्ज़ी ख़ुद की है जहाँ
न कोई अधिकार है
तमाम उम्र तो हिसाब
माँगता है लखपति
बन गया वो दानवीर
जो मेरा गुनहगार है
बुला रहे हैं सब मुझे
चिलमनों के उस तरफ़
बहला-फुसला के हो रहा
मुझपे अत्याचार है
न जिसकी शकल है कोई
न जिसका नाम है कोई
आज उसे मिटाने की
इनपे धुन सवार है
(शहरयार से क्षमायाचना सहित)
राहुल उपाध्याय । 21 दिसम्बर 2020 । सिएटल
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