तुम नए ज़माने की हो
मेरा ही दिल चुराकर
मुझे ही सौंप देती हो
और इतनी मासूम
कि बंध जाओगी खूँटे से
उसके साथ
जिसे पिलाओगी चाय
सबके साथ
लेकिन
उस से पहले
ये हाथ
देना किसी के हाथ
कम से कम एक बार
चाहे कर ना सको उससे विवाह
बिना मास्क पहने
ये बाँहें
डालना किसी के गले
रात रात जागना किसी के वास्ते
बारिश में भीगना
घंटों नहाना
फ़ोन करना बे-बात
भेजना ईमोजी सुबह-शाम
खिलाना चाट
एक ही कोन से दोनों
खाना आईसक्रीम
होना उदास
जब न पाओ उसे
एक दिन क्लास में
अपने साथ
रोना घंटो
जब वो चाहने लगे
किसी और को
ताकि
समझ सको
ग़ालिब की शायरी
साहिर के गीत
आशिक़ी के गाने
रेखा की ख़ुशी
और
बच सको
विवाहोपरांत होने वाले
एकाकीपन से
क्योंकि
तारे तोड़ कर लाना आसान है
खूँटा तोड़ना बहुत मुश्किल
राहुल उपाध्याय । 19 दिसम्बर 2020 । सिएटल
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