Saturday, December 19, 2020

तुम नए ज़माने की हो

तुम नए ज़माने की हो

मेरा ही दिल चुराकर

मुझे ही सौंप देती हो


और इतनी मासूम

कि बंध जाओगी खूँटे से

उसके साथ

जिसे पिलाओगी चाय

सबके साथ


लेकिन 

उस से पहले

ये हाथ

देना किसी के हाथ

कम से कम एक बार

चाहे कर ना सको उससे विवाह 


बिना मास्क पहने

ये बाँहें 

डालना किसी के गले


रात रात जागना किसी के वास्ते 

बारिश में भीगना

घंटों नहाना

फ़ोन करना बे-बात

भेजना ईमोजी सुबह-शाम

खिलाना चाट


एक ही कोन से दोनों 

खाना आईसक्रीम


होना उदास

जब न पाओ उसे

एक दिन क्लास में

अपने साथ


रोना घंटो

जब वो चाहने लगे

किसी और को


ताकि

समझ सको

ग़ालिब की शायरी

साहिर के गीत

आशिक़ी के गाने

रेखा की ख़ुशी 

और

बच सको

विवाहोपरांत होने वाले 

एकाकीपन से

क्योंकि 

तारे तोड़ कर लाना आसान है

खूँटा तोड़ना बहुत मुश्किल 


राहुल उपाध्याय । 19 दिसम्बर 2020 । सिएटल 











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