गिरी शिमला में बर्फ़
और यहाँ
हो रहीं हैं यादें
गर्म मेरी
वो रोज़ दो घण्टे चलना
तुम्हारे साथ
समर हिल के घर से
जाखू हिल के स्कूल तक
खाना काग़ज़ की थैली में
गर्म भूनी हुई मूँगफलियाँ
लेना दोनों हथेली जोड़
काली बाड़ी का प्रसाद
खींचना नवविवाहित जोड़ों के
मुस्कराहट भरे फ़ोटो
लौटते वक़्त पकड़ना दौड़ कर
पाँच-पच्चीस की ट्रैन
यदि पढ़ रही हो
ये पंक्तियाँ
तो
करना मुझे पिंग
न तुम तजना
अपना परिवेश
अपना परिवार
न मैं करूँगा
मिन्नतें हज़ार
बस बता देना कि
क्या याद है तुम्हें
सिसिल होटल के
सामने वाला वो गज़ीबो
जहाँ मैंने एक-एक कर पी थीं
तुम्हारे माथे पर कस कर बाँधे
गहरे काले बालों के बीचों-बीच
उजली माँग में मोती सी सजीं
पानी की बूँदें
जिस दिन हमसे हमारी
ट्रेन छूट गई थी
और बरसते पानी ने दिए थे हमें
पल दो पल ठहर
एक दूजे को निहारने को
राहुल उपाध्याय । 28 दिसम्बर 2020 । सिएटल
गज़ीबो = एक मंडप संरचना, जो कभी-कभी अष्टकोणीय या बुर्ज के आकार का होता है, जिसे अक्सर पार्क, बगीचे या विशाल क्षेत्र में बनाया जाता है।
3 comments:
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 30 दिसंबर 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
वाह
Good one
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