Tuesday, February 15, 2022

कोरोना जा रहा है

अब कोरोना जा रहा है 

मन घबरा रहा है 


रोज़ एक ही बुरी ख़बर सुनने की

आदत सी हो गई थी

अब न जाने क्या-क्या सुनना पड़ेगा 


लोग मिलने-जुलने लगेंगे 

झूठे गले मिलने लगेंगे 

नये-नये बहाने बनाने लगेंगे


जहाँ न जाना चाहता हूँ 

वहाँ भी जाना पड़ेगा 

जहाँ जाना चाहता हूँ 

वहाँ से न जाने क्या-क्या सुनना पड़ेगा 


कोरोना 

जैसा भी था 

साथ तो था

वरना

आजकल 

दो बरस 

कौन रूकता है किसके पास?


कोरोना जा रहा है 

मन घबरा रहा है …


राहुल उपाध्याय । 15 फ़रवरी 2022 । सिएटल 





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