चले आओ के ऐसे पल ही दवा हैं
हम भी यहाँ हैं, गम भी यहाँ है
कहाँ से लाते तुम्हें ढूँढ खुशियाँ
तुम तो यहाँ हो, हम ही ख़फ़ा हैं
धड़कन ही धड़कन पल-पल जहां में
जो धड़कन न जाने, मंथन कहाँ है
नहीं होती काया सुबह की, सबा की
दिल छूने का करतब होता सदा है
(सबा = प्रातःकाल की हवा)
राहुल की बातें हैं कुछ अटपटी सी
वरना है सिम्पल जो फ़लसफ़ा है
राहुल उपाध्याय । 25 फ़रवरी 2022 । सिएटल
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