फेरे लिए थे सात होश-ओ-हवास में
जीना भी साथ-साथ है, मरना भी साथ-साथ
उनसे कहा था आओ तो आओ सोच के
चढ़ना भी साथ-साथ है, उतरना भी साथ-साथ
कहते हैं लोग आजकल दुनिया ख़राब है
लड़ना भी चाहते हैं, बिफरना भी साथ-साथ
आँखों में आँखें डाल के कहते तो जानते
आसां नहीं है मानना, मुकरना भी साथ-साथ
राहुल उपाध्याय । 24 फ़रवरी 2022 । सिएटल
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