थी आवाज़ उनकी
शब्द किसी और के
संगीत किसी और का
जगजीत हो
या लता
किशोर हो
या मुकेश
जो सुनाई देता है
वही है चेहरा
वही है पहचान
वही है जो कहता
कि
नाम गुम जाएगा
तुम मुझे यूँ भूला न पाओगे
रहें ना रहें हम
कल भी सूरज निकलेगा
पर हम न नज़र आएँगे
ये दौलत भी ले लो
ये जीवन है
ज़िन्दगी का सफ़र
कहाँ तक ये मन को अँधेरें छलेंगे
जाने कहाँ गए वो दिन
चलो इतना तो हुआ
कि हम धर्मेंद्र हटा
किशोर तक आ गए
हेमा को छोड़
लता को पहचान गए
कभी किसी दिन
योगेश, इरशाद, प्रेम धवन भी पहचाने जाएँगे
राहुल उपाध्याय । 7 फ़रवरी 2022 । सिएटल
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