नाभि ना भी होती
तो भी हम होते
इंसान न होकर
अण्डों से होते
नित्य नियति का चलता है चरखा
स्वेच्छा उसे देती है धक्का
विधि के विधान और स्वयं की शक्ति
दोनों ही के मिलन से है
जीवन की वर्षा
यह ज्ञान है
और ज्ञान भी सीमित
जिसे
पाना भी ठीक
न पाना भी ठीक
जो पाता है
वो भी देता है छोड़
जो है, सो है
यही सारा निचोड़
राहुल उपाध्याय । 3 फ़रवरी 2022 । सिएटल
1 comments:
सत्य वचन।
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