भूल भुलैया- 2 एक वाहियात और एक बहुत अच्छी फ़िल्म है।
वाहियात इसलिए कि कहानी के नाम पर कुछ नहीं है।
बहुत अच्छी इसलिए कि कहानी न होते हुए भी आज के संदर्भों को जोड़ती हुए तेज गति से दौड़ती यह फ़िल्म दर्शक को बाँधे रखती है। इसका श्रेय चुस्त पटकथा, अनुपम निर्देशन और उच्च कोटि के अभिनय को जाता है।
कार्तिक आर्यन अब अभिनय में परिपक्व हो गए हैं। अमोल पालेकर से लेकर नसीरूद्दीन शाह सब अच्छे अभिनेता हैं। लेकिन न नवाज़, न मनोज बाजपेयी वैसा नृत्य कर सकते हैं जैसा कार्तिक करते हैं या अल्लू अर्जुन। तभी इनका रुतबा है। ये स्टार हैं।
फ़िल्म को मनोरंजक बनाने में स्टार का बड़ा हाथ होता है और यह आवश्यक है।
फ़िल्म ख़त्म होने पर इस फ़्रेंचाइज़ का हिट गाना बजता है - हरे राम हरे कृष्ण- स्क्रोलिंग टाईटल्स के साथ। वाह क्या संगीत है, क्या गायन है और क्या सम्मोहित करने वाला नृत्य है। कार्तिक का फुटवर्क कमाल का है।
घर पर देखने का फ़ायदा यह है कि यह गाना बार-बार देखा जा सकता है।
तबू, राजपाल यादव, और संजय मिश्रा की अदायगी भी प्रशंसनीय है।
पैसा वसूल फ़िल्म है।
राहुल उपाध्याय । 23 जून 2022 । सिएटल
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