तराने लिखें हैं बहारों के नाम
बहारों की ख़ुशियाँ बहारों के नाम
ये तराने नहीं हैं, तराने हैं नाम
अंधेरों में लौ सा करते हैं काम
बात अपनी मैं कहूँ या
गीत गाऊँ प्रेम के
सात सुर और आठ धुन में
भाव अपने गूँथ के
अनोखा है संगम
अनोखा ये धाम
डबडबाती आँख कोई
देख ले जब आँख तो
हाथ रख कर सर पे उसके
आस दे प्यार से
जीवन का ये असली
असली है काम
राहुल उपाध्याय । 9 जून 2022 । सिएटल
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