बड़ा कर्कश है रे हमरा खेवैया
पार करे ना सबकी नैया
लूटे रे बगिया
बगिया का मोर
फूल सारे तोड़ डाले
वही चहुँ ओर
लड़ रहा ऐसे जैसे हो ततैया
घूमे दुनिया
दुनिया के देश
इत-उत डोले, कहे
मैं हूँ नरेश
ख़ुद को ही देता, देता बधईयाँ
बातें करता
करता है मन की
जो कहें सुनो, नहीं
सुनता है जन की
फेंकता रहता है सुर में गवईया
राहुल उपाध्याय । 17 जून 2022 । सिएटल
0 comments:
Post a Comment