मैं निराला नहीं हूँ
कि तत्सम भाषा में
प्रकृति का सौन्दर्य गूँथूँ
मुझे
प्रभावित करती हैं
ख़बरें
ख़ासकर बुरी ख़बरें
मुझे
दिखते हैं
चारों ओर ध्वस्त होते मंजर
मैं
चाहकर भी
शहद नहीं देख सकता
शहद नहीं घोल सकता
मैं
जेल पेन से कविता नहीं लिखता
मैं
सफ़ेद पन्ने काले करता हूँ
मैं निराला नहीं हूँ
मैं निराला हूँ
राहुल उपाध्याय । 25 जून 2022 । सिएटल
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