Thursday, June 30, 2022

मैंने दोहा में ग़ज़ल लिखी

मैंने दोहा में ग़ज़ल लिखी

सब ने कहा

ये तो ग़ज़ल है 


मैंने बाली से कंगन लिए 

सब ने कहा 

ये तो कंगन हैं 


मैंने काठगोदाम से सेब लिए

सब ने कहा

ये तो ताज़ा हैं


हरिद्वार जब बंद था

सब ने कहा

चाबी से खोल लो


अमृतसर में था

सब ने कहा 

फिर मन क्यूँ उदास था?


अरबी में ख़त था

पढ़ा ही नहीं गया

इतनी हल्दी लग चुकी थी


राहुल उपाध्याय । 1 जुलाई 2022 । सूरत 







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1 comments:

कविता रावत said...

वाह! बहुत खूब अंदाजे बयां