जो सेब
पेड़ से मिलते हैं
और दुकान पर मिलते हैं
अलग होते हैं
दिखते अलग हैं
लगते अलग हैं
फेसियल किए हुए
आकर्षक, चमकीले-दमकीले लगते हैं
दाग नहीं होते
आड़ें-टेढ़ें नहीं होते
कीड़े नहीं निकलते
क़ीमत बढ़ जाती है
माँग बढ़ जाती है
लोग
पेड़ से लेना बंद कर देते हैं
कौन इतनी झंझट पाले?
मेहनत की कमाई से
बैठे-बिठाए अच्छे, साफ़-सुथरे फल मिल जाते हैं
जिससे लेना बंद कर दिया
उसे देखना भी क्यों?
और पेड़ भी दिखना बंद हो जाते हैं
कुछ दिनों बाद,
पेड़?
ये किस चिड़िया का नाम है?
न फल पेड़ से आते हैं
न दूध गाय से आता है
सब दुकान से आता है
थोड़े दिनों बाद
दुकानें भी न रह पाएँगी
सब फ़ोन से मिल जाया करेगा
राहुल उपाध्याय । 23 जून 2022 । सिएटल
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