तू है मधुर
ना कि ज़हर
कि पीऊँ तो मर जाऊँ
तेरे आँखों के समन्दर में
डूब के मर जाऊँ
तेरा नाम भी लिखना
ख़तरे से ख़ाली नहीं
तू रूठे मुझसे
वो बात भाती नहीं
तेरे नाम से मेरा नाम जोड़ लिया
और सब उस पर छोड़ दिया
हाँ बात नहीं है, पर कोई बात नहीं
है धुँध-धुँधलका, कोई रात नहीं
कल को होगी बात भी
राहुल उपाध्याय । 12 जून 2022 । सिएटल
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