कौन कहता है कि
इश्क़ छुपता नहीं है
फिर ये एकतरफ़ा प्यार क्या है?
वो क्यों नहीं देख पाती है कि
मैं हर पल बेचैन हूँ
जोहता उसके नैन हूँ
रहता उसके साथ हूँ
उसका ही मैं दास हूँ
मुस्कान पे उसके
छिड़कता अपनी जान हूँ
लहराती ज़ुल्फ़
शानों पे दुपट्टा
आँखों में चमक
मोती से दांत
हर लेते हैं मेरा
सब कुछ अकस्मात्
क्यूँ देखती नहीं है
समझती नहीं है
मोहब्बत नहीं
तो नफ़रत ही कर ले
कुछ तो मेरी इज़्ज़त रख ले
राहुल उपाध्याय । 24 जून 2022 । सिएटल
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