Saturday, June 25, 2022

संस्कृति

लड़कियाँ 

अब खुले बाल रखती हैं 

चोटियाँ नहीं बनातीं

छोटे रखती हैं 

साड़ी पहन कर काम नहीं होते

असुविधा होती है

फ़ोटो खींचे जा सकते हैं 

खींचवाए जा सकते हैं 

शो-पीस बना जा सकता है 


एक परिधान

हाशिये पर चला जाता है 

एक साज-सज्जा 

लुप्त हो जाती है 

संस्कृति की नींव 

खोखली होती जाती है 


जिनकी संस्कृति नहीं 

कितने भले हैं

हज़ारों साल से वही हैं

सुन्दर 

अति सुन्दर 

मनमोहक 

पवित्र 

न गर्भपात का क़ानून 

न समलैंगिक अधिकारों की दुहाई 

न गन-हिंसा की मगजमारी 

न ईंधन की महंगाई 

कुछ भी उनका कुछ नहीं बिगाड़ता


राहुल उपाध्याय । 25 जून 2022 । सिएटल 



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