Monday, July 31, 2023

आईना क्या दिखाएगा मुझे मेरी हक़ीक़त

आईना क्या दिखाएगा मुझे मेरी हक़ीक़त 

जो देख ली आज तुम्हारी आँखों में मैंने


पास थी बैठी और थी कोसों दूर

किसी अशोक वन की किसी वाटिका में गुम

आएँगे राम

परखेंगे तुम्हें

फिर देंगे छोड़ किसी परिधि के बाहर 


कभी अंदर तो कभी बाहर

जैसे परिधि ही हो तुम्हारा परिचय


मैं राम नहीं हूँ 

और राम से अलग भी नहीं हूँ 


तुम साहित्य पढ़ती हो

सिनेमा देखती हो

ग्रंथ समझ आते हैं तुम्हें 


तुम्हें पता है कि

नारी सम्पत्ति थी

सम्पत्ति है 

और सम्पत्ति रहेगी


चन्दर राम नहीं था

पर अपना अस्तित्व खो न सका

सुधा का हो न सका


मैं भी राहुल हूँ 

वीर नहीं 

तुम ज़ारा सही


राहुल उपाध्याय । 31 जुलाई 2023 । सिएटल 



इतवारी पहेली: 2023/07/30


इतवारी पहेली:


बरसों से जो दारू # ##

बन गए आज वो ## #


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya



आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 

सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 6 अगस्त 2023 को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 30 जुलाई 2023 । सिएटल 




Re: इतवारी पहेली: 2023/07/23



On Fri, Jul 28, 2023 at 6:48 AM Rahul Upadhyaya <kavishavi@gmail.com> wrote:
इतवारी पहेली:

रही थी अलसाई आँखें ## ##
या फैल रहा था पराग-####

इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 

जैसे कि:

हे हनुमान, राम, जानकी
रक्षा करो मेरी जान की

ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 



आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 
सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 30 जुलाई 2023 को - उत्तर बता दूँगा। 

राहुल उपाध्याय । 23 जुलाई 2023 । सिएटल

Saturday, July 29, 2023

सुनते ही आए

सुनते ही आए 

समझ ना पाए 

गीता में क्या लिखा है 

हमें बस रटना है


सुनते ही आए 

समझ न पाए 

ग़ालिब ने क्या लिखा है

भेजे में न घुसता है 


आज नहीं कल 

कल नहीं परसों 

कहते ही रहना है 

हमें न सुधरना है 


ग़म दूर कर दे

ख़ुशियों से भर दे

वो कोई अपना है

मन ही तो अपना है


घर से निकल के

कर कुछ कर से

ये जग बढ़िया है 

तेरी ही तो रचना है 


राहुल उपाध्याय । 29 जुलाई 2023 । सिएटल 


Friday, July 28, 2023

बरसात

बरसात

स्वयं एक गीत है 

संगीत है

सबकी मीत है

इस पर कुछ लिखना

जैसी पानी पर अपना नाम लिखना


-*-*-*


बरसात जीवन नहीं 

संहार है

छत न हो

तो देती मार है


-*-*-*


कवि है

कवि को रचना है 

बादल है

बादल को बरसना है


न कवि को पता

न बादल को पता

कहाँ किसे जगना-जगाना है

कहाँ किसे उगना-उगाना है


दोनों हैं बावरे


राहुल उपाध्याय । 28 जुलाई 2023 । सिएटल 


इतवारी पहेली: 2023/07/23

इतवारी पहेली:

रही थी अलसाई आँखें ## ##
या फैल रहा था पराग-####

इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 

जैसे कि:

हे हनुमान, राम, जानकी
रक्षा करो मेरी जान की

ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 



आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 
सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 30 जुलाई 2023 को - उत्तर बता दूँगा। 

राहुल उपाध्याय । 23 जुलाई 2023 । सिएटल

उत्तरः इतवारी पहेली: 2023/07/16

बताऊँ कैसी ली जान लालच ने?

सफ़ेद नहीं, खा गए वे लाल चने



On Sat, Jul 15, 2023 at 6:04 PM Rahul Upadhyaya <kavishavi@gmail.com> wrote:

इतवारी पहेली:


बताऊँ कैसी ली जान ### #?

सफ़ेद नहीं, खा गए वे ## ##


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya


आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 

सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 23 जुलाई 2023 को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 16 जुलाई 2023 । मुम्बई 




Monday, July 24, 2023

होता आतंकवादी तो

होता आतंकवादी तो

अभी तक सर्जिकल स्ट्राइक हो गई होती 


उस मुल्क के धर्म की

उस मुल्क के आचार-विचार की

उस मुल्क के संस्कार की

कड़े शब्दों में भर्त्सना कर दी गई होती


लेकिन

चूँकि

मामला अपने ही घर का है

सब बगले झाँक रहे हैं


दूसरों को बुरा-भला कहना जितना आसान है

उतना ही मुश्किल है खुद को सुधारना


राहुल उपाध्याय । 24 जुलाई 2023 । सिएटल 

रीत-रिवाज हैं कईं

रीत-रिवाज हैं कईं कोई मानता नहीं 

पर हैं कई हज़ार और जिन्हें छोड़ता नहीं 


तेरा नहीं है कोई अगर, हिम्मत से काम ले

पूजा करो कि पाठ करो, कोई सुनता नहीं 


लूट रहे हैं सब यहाँ ईश्वर के नाम पर 

सच तो यही कि सच कोई जानता नहीं 


बिन नहाए न काम करे किचन में नव-वधू

सुनकर किसी का खून क्यों खौलता नहीं 


कटते न हों बाल जहाँ मंगलवार को

उस देश का युवा कभी जागता नहीं 


मिलते न हो गुण अगर, रिश्ता बेकार है 

कहनेवालों का दिल से कोई वास्ता नहीं 


राहुल उपाध्याय । 24 जुलाई 2023 । सिएटल 



Saturday, July 22, 2023

कहीं पे है चावल

कहीं पे है चावल

कहीं पे टमाटर

कमी का है दौर

हर ओर हॉटर 


रातोंरात हुआ कैसे

ये सम्भव 

पॉवरफुल जो थे

हुए बिन पॉवर


चावल की एक नहीं 

हैं नस्लें कई

पर खाना वही है

जो बेचे न हॉकर


ज़रूरत है कि नहीं 

पता भी नहीं है 

पर भर रहे हैं कार्ट

लाइनें लगा कर


कुछ के लिए हैं

यह स्वर्णिम अवसर

बन गए हैं लाला

बीस बैग पा कर


राहुल उपाध्याय । 22 जुलाई 2023 । सिएटल 


Friday, July 21, 2023

चाँद के चक्कर लगाए बहुत

चाँद के चक्कर 

लगाए बहुत

पर चन्द्रयान न अपना उतर सका

उदयपुर-आगरा सब गया

बैंगलोर-बारामती छू लिए 

दिल्ली जो इतनी दूर थी

नौ घंटे वहाँ भी गुज़ार दिए

मुम्बई का हर कोना छान लिया 

रतलाम-शिवगढ़ सब नाप लिए

इस पर्वत पर, उस झरने पर

उसका न कहीं दीदार हुआ 

वो ताज जो मोहब्बत की निशानी है

उसने भी न मेरा साथ दिया 


मोहब्बत से बढ़कर 

'गर मोहब्बत हो

तो हीर-रांझे नहीं मिल पाते हैं 


लैला को पता हो पटकथा पूरी

वह खूब सयानी हो जाती है 

न मार सकता है मजनूँ को कोई पत्थर से

वह ख़ुद पराई हो जाती है 


राहुल उपाध्याय । 21 जुलाई 2023 । फ्रेंकफर्ट और सिएटल के बीच, तीस हज़ार फ़ीट की ऊँचाई से








वोट तो देना है

वोट तो देना है 

देना है किसे और क्यूँ, फ़ैसला कीजिए 


अपना ही अपना सोच के हम

देश को क्यूँ बर्बाद करें

जात और पात को छोड़ के हम

आओ नई शुरुआत करें

चुनना है तुम्हें, देशभर के लिए

आज से ही सदा बस भला कीजिए 


यूँ तो अकेला ही पीएम 

देश का चेहरा दिखता ही है 

पर करते हैं काम कईं 

उनको भी चुनना पड़ता ही है

चुनने हैं तुम्हें, छोटे से बड़े 

पंचायत से लोकसभा तक चुना कीजिए 


आप का जनतंत्र, आपका वोट

देश भी तो ये आप ही से है

यूँ ना बहके आप कभी

आप की सूझबूझ आप ही से है

डरना है नहीं, लड़ना है नहीं 

पूरे दमख़म से ही वोट दिया कीजिए 


राहुल उपाध्याय । 21 जुलाई 2023 । फ्रेंकफर्ट और सिएटल के बीच, तीस हज़ार फ़ीट की ऊँचाई से


Thursday, July 20, 2023

मैं मोदी एक नाम क्यों मैं जीता

मैं मोदी एक नाम क्यों मैं जीता

कर के सारे काम ओ मैं जीता


पूछे कोई मुझसे मैं इन्सान हूँ कैसा

मैं तो ये बोलूँ कि मेरे काम के जैसा

सड़के, बिजली, पानी, तीनों चारों धाम


रस्ता रोक खड़े हैं इत-उत सौ-सौ हाथी

लेकिन संकल्प ही हैं मेरे सच्चे साथी

इनसे ही तो मुझको मिलते हैं परिणाम


चंदा ले-लेकर के क्या सरकार चली है

जी-एस-टी और बाक़ी कर से आय बढ़ी है

उस दिन समझोगे जब होगा जग में नाम


राहुल उपाध्याय । 21 जुलाई 2023 । मुम्बई 


वह पहनती है टी-शर्ट मेरा

वह पहनती है टी-शर्ट मेरा

जबकि फ़िट उसे आता नहीं

टटोलती है वो बार-बार 

हार गले का हाथ से

कि मिल जाए वो स्पर्श मेरा

जो रह गया था उस हार में 


लिखती है वो बार-बार 

घर भी मेरे आओ ना

आए इतने पास हो

आके इतनी दूर से

बिन मिलें जाओगे 

रह जाएगा कुछ टूट के

फिर मिटा के उसे

रोती है वो जार-जार


इससे बढ़कर कोई धन नहीं 

कि क़ैद में हैं बुलबुल मगर

रहती मेरे साथ है 

गीत मेरे गा सभी

रहती मेरे साथ है 

मिलती है रोज़ मुझे 

कभी कॉल पे, कभी नींद में

छटपटाती है बहुत 

देख मुझे रील में

कभी इस गली तो कभी उस गली 

कि काश होते वो मेरे

और मैं उनके साथ में


राहुल उपाध्याय । 20 जुलाई 2023 । मुम्बई 





Wednesday, July 19, 2023

हर तरफ़ आज जन्नत है

तुम न मानो मगर हक़ीक़त है 

सिर्फ़ मोदी, मोदी ही ज़ीनत है

(ज़ीनत = शोभा, श्रृंगार)


फ़िक्र का कब हुआ है दिल

हर तरफ़ आज जन्नत है


जग पड़े आप हैं क्यूँ कर

नींद लीजिए, बजा हुकूमत है


हम भी लेते रूख दीगर सबसे

पट्टी आँखों पे आज क़िस्मत है


दुख होता तो क्या नहीं होता

भाईचारा नहीं, यही क़ीमत है


राहुल उपाध्याय । 20 जुलाई 2023 । नोएडा 



Tuesday, July 18, 2023

केजरी-ममता अब क्या सोचें

केजरी-ममता अब क्या सोचें 

खेत ही चुग गए मोदी कब से


राहुल पछताए हाथों को मल के

काहे गया परदेस गाँव को तज के

कोई यहाँ, कोई वहाँ, कोई कहाँ रे


ममता का आँगन, लफड़ों की दुनिया 

नहीं बनी नेनो, भाग गए टाटा

कोई यहाँ क्यूँ लगाए धन अपना रे 


पी-एम बने सब, सब के हैं सपने

अपने ही अपने स्वार्थ हैं सबके

कोई इन्हें क्यूँ चुने, क्यूँ चुने रे


राहुल उपाध्याय । 19 जुलाई 2023 । आगरा


Saturday, July 15, 2023

इस देश का लीडर हो मोदी दोबारा

इस देश का लीडर हो मोदी दोबारा, ये कहती हवा

कहा नौ दलों ने के मिल कर कभी हम न देंगे हरा


ये क्या हो गया है, विपक्ष ही नहीं है

कहाँ खो गया है, दम ही नहीं है 

ये केजरी की बातें, ये ममता के जलवे

नहीं दे रहे हैं हमें तो मज़ा 


कहाँ जा के ढूँढें किसी आदमी को

जो कर दे निछावर सब कुछ उसी को

जो माँ है हमारी, जो जाँ है हमारी 

जिसे राजनीति का हो गहरा नशा


चलो फिर से जीते, बुरा तो नहीं है

लोकतंत्र है आख़िर, मरा तो नहीं है

क्या है ज़रूरी, क्यूँ हो ज़रूरी 

कि हर बार आए लीडर नया


राहुल उपाध्याय । 16 जुलाई 2023 । मुम्बई 

इतवारी पहेली: 2023/07/16


इतवारी पहेली:


बताऊँ कैसी ली जान ### #?

सफ़ेद नहीं, खा गए वे ## ##


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya


आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 

सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 23 जुलाई 2023 को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 16 जुलाई 2023 । मुम्बई