आईना क्या दिखाएगा मुझे मेरी हक़ीक़त
जो देख ली आज तुम्हारी आँखों में मैंने
पास थी बैठी और थी कोसों दूर
किसी अशोक वन की किसी वाटिका में गुम
आएँगे राम
परखेंगे तुम्हें
फिर देंगे छोड़ किसी परिधि के बाहर
कभी अंदर तो कभी बाहर
जैसे परिधि ही हो तुम्हारा परिचय
मैं राम नहीं हूँ
और राम से अलग भी नहीं हूँ
तुम साहित्य पढ़ती हो
सिनेमा देखती हो
ग्रंथ समझ आते हैं तुम्हें
तुम्हें पता है कि
नारी सम्पत्ति थी
सम्पत्ति है
और सम्पत्ति रहेगी
चन्दर राम नहीं था
पर अपना अस्तित्व खो न सका
सुधा का हो न सका
मैं भी राहुल हूँ
वीर नहीं
तुम ज़ारा सही
राहुल उपाध्याय । 31 जुलाई 2023 । सिएटल