रीत-रिवाज हैं कईं कोई मानता नहीं
पर हैं कई हज़ार और जिन्हें छोड़ता नहीं
तेरा नहीं है कोई अगर, हिम्मत से काम ले
पूजा करो कि पाठ करो, कोई सुनता नहीं
लूट रहे हैं सब यहाँ ईश्वर के नाम पर
सच तो यही कि सच कोई जानता नहीं
बिन नहाए न काम करे किचन में नव-वधू
सुनकर किसी का खून क्यों खौलता नहीं
कटते न हों बाल जहाँ मंगलवार को
उस देश का युवा कभी जागता नहीं
मिलते न हो गुण अगर, रिश्ता बेकार है
कहनेवालों का दिल से कोई वास्ता नहीं
राहुल उपाध्याय । 24 जुलाई 2023 । सिएटल
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