हमने जग में काम किया है जितना
कौन करेगा इतना
सुबह-शाम रट
एक लगाए
दफ़्तर जाए, कोल्हू चलाए
दफ़्तर जाए,
कोल्हू चलाए
नोट कुछ तो कमाए
चाँद-सूरज को
एक ही समझा
घिसते रहे हम इतना
घर भी छोड़ा
देश भी छोड़ा
छोड़ दिया जग सारा
दिल भी तोड़ा
पी का अपना
सुख न कोई पाया
करते-करते
आज ये सोचें
क्यूँ था हमको बिकना
हाथों में है
आज न कुछ भी
कल भी कुछ न होगा
जितना पाया
साथ नहीं है
कल भी कुछ न होगा
झोली हमारी
ख़ाली-ख़ाली
भरते रहे हम जितना
राहुल उपाध्याय । 6 जुलाई 2023 । बदामी
0 comments:
Post a Comment