बरसात
स्वयं एक गीत है
संगीत है
सबकी मीत है
इस पर कुछ लिखना
जैसी पानी पर अपना नाम लिखना
-*-*-*
बरसात जीवन नहीं
संहार है
छत न हो
तो देती मार है
-*-*-*
कवि है
कवि को रचना है
बादल है
बादल को बरसना है
न कवि को पता
न बादल को पता
कहाँ किसे जगना-जगाना है
कहाँ किसे उगना-उगाना है
दोनों हैं बावरे
राहुल उपाध्याय । 28 जुलाई 2023 । सिएटल
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