Friday, July 28, 2023

बरसात

बरसात

स्वयं एक गीत है 

संगीत है

सबकी मीत है

इस पर कुछ लिखना

जैसी पानी पर अपना नाम लिखना


-*-*-*


बरसात जीवन नहीं 

संहार है

छत न हो

तो देती मार है


-*-*-*


कवि है

कवि को रचना है 

बादल है

बादल को बरसना है


न कवि को पता

न बादल को पता

कहाँ किसे जगना-जगाना है

कहाँ किसे उगना-उगाना है


दोनों हैं बावरे


राहुल उपाध्याय । 28 जुलाई 2023 । सिएटल 


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