Monday, July 3, 2023

यह कैसी अनोखी बस्ती है

यह कैसी अनोखी बस्ती है

जहाँ सास न कोई रहती है 

न ननद है, न देवर कोई 

बस पति-पत्नी से चलती है 

ख़ुद खाते हैं, ख़ुद पीते हैं 

खूब खाते हैं, खूब पीते हैं 

कभी-कभी व्यायाम करते हैं 

सैर-सपाटे पे निकलते हैं 

कोई आ जाए, दिल खिल जाए

व्यंजन आदि परसते हैं

कभी किसी के घर जाए

उपहार साथ ले चलते हैं 

दीवाली पे वे गाँव जाते हैं 

सास-ससुर के पाँव छूते हैं 

कुछ शहर में हैं, कुछ गाँव में

कुछ लोग ऐसे रहते हैं 


—।।।—।।।—।।।—


यह कैसी अनोखी बस्ती है

जहाँ बहू न कोई रहती है 

न पोता है, न पोती कोई 

बस पति-पत्नी से चलती है 

ख़ुद खाते हैं, ख़ुद पीते हैं 

कम खाते हैं, कम पीते हैं 

कभी-कभी ध्यान करते हैं 

पाठ-पूजा भी करते हैं 

कोई आ जाए, दिल खिल जाए

व्यंजन आदि परसते हैं

कभी किसी के घर जाए

उपहार साथ ले चलते हैं 

दीवाली पे बच्चे आते हैं 

आशीर्वाद ले जाते हैं 

कुछ शहर में हैं, कुछ गाँव में

कुछ लोग ऐसे रहते हैं 


राहुल उपाध्याय । 4 जुलाई 2023 । बारामती 



इससे जुड़ीं अन्य प्रविष्ठियां भी पढ़ें


3 comments:

Onkar said...

उम्दा रचना

Anita said...

खुश और स्वस्थ रहते हैं न, तो बाक़ी सब ठीक है

ज्योति-कलश said...

दो दृश्य उपस्थित करती सुन्दर रचनाएँ!