Monday, July 10, 2023

जहाँ से हो कर हो बस गुज़रती

जहाँ से हो कर हो बस गुजरती

वहाँ तुम्हारी खूशबू नहीं है

जिस गली में हो गाय चरती

वहाँ तुम पाँव न धरती

जिस नुक्कड़ पर ठेले लगे हों

वहाँ से तुम्हारी कोई राह न जुड़ती 

बरसात में तुमने कभी छाता न खोला

नल से तुमने कभी पानी न पिया

तुम प्लेन में उड़ती, मर्सिडीज़ में चलती

तुम क्यूँ मेरी दोस्त बन गई?


मैं कवि हूँ 

कोई नवरत्न नहीं 

मैं इंजीनियर हूँ 

कोई टेक्नोक्रेट नहीं 

मेरी नौकरी है

कोई पद नहीं 

तुम क्यूँ मेरी दोस्त बन गई?


तुम इस राह चलो

मैं उस राह चलूँ 

तुम्हें वो पसंद 

मुझे ये पसंद 

तुम ये कहो

मैं ये कहूँ 

तुम क्यों बिन फेरे बीवी बन गई?


राहुल उपाध्याय । 10 जुलाई 2023 । बैंगलोर 



इससे जुड़ीं अन्य प्रविष्ठियां भी पढ़ें


0 comments: