कहीं पे है चावल
कहीं पे टमाटर
कमी का है दौर
हर ओर हॉटर
रातोंरात हुआ कैसे
ये सम्भव
पॉवरफुल जो थे
हुए बिन पॉवर
चावल की एक नहीं
हैं नस्लें कई
पर खाना वही है
जो बेचे न हॉकर
ज़रूरत है कि नहीं
पता भी नहीं है
पर भर रहे हैं कार्ट
लाइनें लगा कर
कुछ के लिए हैं
यह स्वर्णिम अवसर
बन गए हैं लाला
बीस बैग पा कर
राहुल उपाध्याय । 22 जुलाई 2023 । सिएटल
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