ये तो सच है कि भगवान है
हर रूप में विद्यमान है
कभी सूरज बने, कभी चंदा बने
कभी दिखता वो मेहमान है
बड़ा सिम्पल है उसका तरीक़ा
कोई है ही नहीं उस सरीखा
जो चाहें मिले, जब चाहें मिले
हर तरफ़ है उसी का दिया
दिया सृष्टि को है वो जनम
बढ़ती रहती है न होती ख़तम
आओ उसको तो हम मान लें
जिसने हमको दिया ज्ञान है
पढ़ाई गीता हमें, बताईं राहें हमें
जिन पे चल के मिली राह है
ऐसे संतों के ही योग से
हुआ देश का कल्याण है
राहुल उपाध्याय । 7 जुलाई 2023 । अर्सिकेरे
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