गरिमा
कुछ लोग हमारे देश में
कहते हैं आवेश में
कि अंग्रेज़ी ही बेस्ट है
हिंदी नही श्रेष्ठ है
करते वो बड़ी एक भूल है
जो समझ बैठे इसे मात्र भाषा
भूल गए कि हिंदी ही है एकमात्र भाषा
जिसे करोड़ों कहते हैं अपनी मातृभाषा
इसमें शक्ति है और ओज है
घर घर में बोली जाती रोज है
दीवाली की पावन ज्योत है
होली के रंगो से ओत-प्रोत है
इसमें फ़िल्में भी है और शोध भी
इसमें गरिमा भी है और विनोद भी
विनोद
गीता पर मैंने हाथ रखा
गीता के बाप ने धर दिया
श्रद्धा के साथ मंदिर गया
श्रद्धा के भाई ने पीट दिया
चोटी को जब मैं छूने लगा
जोर से एक थप्पड़ पड़ा
आशा की मैंने जब बात की
पत्नी ने दो दिन तक न बात की
कई बार कवि सम्मेलनों में
कविता सुनते सुनते मैं सो जाता हूँ
कभी कविता के साथ अगर मैं सो गया
तो पत्नी मेरा क्या हाल करेगी
ये सोच के ही मैं डर जाता हूँ
इन पंक्तियों में आप स्वयं मात्रा बदले और मन ही मन आनंद ले
होली की रात होली पर एक कविता पढ़ी थी
दूसरे दिन सुबह देखा तो वहाँ राख पड़ी थी
होली का माहौल था
सारे बदन पर गुलाल थी
बहुत धोई, बहुत धोई
पर अगले दिन तक गुलाल थी
सिएटल,
19 मार्च 2008
होली है भई होली है, बुरा न मानो होली है
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Glossary:
मात्र = merely
मात्रा = 1. short and long variety of vowel/swar 2. quantity
आवेश = passion
एकमात्र = the only
मातृभाषा = mother tongue
शक्ति = power
ओज = lustre
ज्योत = flame
ओत-प्रोत = full to the brim
शोध = research
गरिमा = dignity
विनोद = humor
धर = planted (as in a slap)
चोटी = 1. peak 2. pony tail
पढ़ी = read
पड़ी = kept
माहौल = atmosphere
Wednesday, March 19, 2008
मात्र मात्रा का अंतर
Posted by Rahul Upadhyaya at 4:52 PM
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Labels: festivals, fun, March Read
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1 comments:
अच्छी है उठा-पटक।
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