Wednesday, March 12, 2008

आ लौट के आजा NRI

आ लौट के आजा NRI
तुझे रुपये बचाने हैं
तेरी net worth रही है गिर
तुझे रुपये बचाने हैं

दिल्ली नही
हैदराबाद ही सही
कही तो डेरा जमा ले
Wipro नही
Infosys ही सही
कही तो पैसा कमा ले
ये घड़ी न आए फिर
तुझे रुपये बचाने हैं
आ लौट के आजा NRI

एक हाथ से dollar
एक हाथ से रुपया

दोनो हाथों से धन ही बटोरा
आज इस देश में
कल उस देश में
हर जगह है भीख का कटोरा
तेरी इज़्ज़त न जाए गिर
तुझे रुपये बचाने हैं
आ लौट के आजा NRI

सिएटल,
12 मार्च 2008
(भरत व्यास से क्षमा याचना सहित)

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Anatomy of an NRI


1 comments:

राज भाटिय़ा said...

आ लौट के आजा NRI
तुझे रुपये बचाने हैं
ओर वो भारत मे तेरे अपनो
ने गवांने हे,
तु लॊट के आजा NRI
तुझे सीमेंट,ओर ईट्टो के भाव
बताने हे,
ओर वो तेरे अपनॊ ने गवांने हे
राहुल जी आप की कविता अधुरी सी लगती हे, लेकिन जितनी भी हे सुन्दर हे