Saturday, May 29, 2021

इतवारी पहेली: 2021/05/30

इतवारी पहेली:


आए भला कहाँ # ###

हर कोई अपनी रोटी ###


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya 


आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 


सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 6 जून को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 30 मई 2021 । सिएटल

Wednesday, May 26, 2021

तेरा हाथ सदा है सर पे

https://youtu.be/Fnq5g4tePRs


तुझे सूरज कहूँ या चंदा

तुझे दीप कहूँ या तारा

तेरा हाथ सदा है सर पे

तू ही मेरा एक सहारा


तुझे भूल मैं कैसे जाऊँ

तेरी याद बसी है दिल में

तुझे दूर मैं कैसे पाऊँ

तू दौड़ रहा मेरी रग में

तुझे रोज़ मैं ऐसे चाहूँ

जैसे धूप को छाँव का मारा..


तेरा मुझसे क्या है नाता

मैं आज बताऊँ तुझको

तू रोज़ खिलाए मुझको

मैं भोग लगाऊँ तुझको

तू ही मेरा मात-पिता है

तू ही मेरा राज दुलारा


मैं गा रहा हूँ कैसे

मुझमें भक्ति है तुझसे

मैं चल रहा हूँ कैसे

मुझमें शक्ति है तुझसे

तेरे लाख मुझपे करम हैं

तू ही मेरी साँस की धारा


राहुल उपाध्याय । 26 मई 2021 । सिएटल 

अब तो है हे प्रभु तुझसे ये विनती

https://youtu.be/WkED0SEnft0 


अब तो है हे प्रभु तुझसे ये विनती

यूँ ही मरना न हो ये मेरी नियति

दुख ही दुख है यहाँ आज चारों तरफ़

यूँ ही मरना न हो ये मेरी नियति


हाँ ये जीवन जो है है तेरा ही दिया

क्यूँ जलने से पहले बुझा है दिया

फूल खिलते मगर हैं डर से भरें

क्या पता कल को वो रहें ना रहें

छीन ले तू न कल बाग से हर कली

यूँ ही मरना न हो ये मेरी नियति


दिन तो ऐसे हुए जो हुए ही नहीं 

रात आई मगर नींद लाई नहीं 

करते-करते दुआ थक गए हाथ हैं

तेरे हाथों में दाता मेरा हाथ है

कर तू सारे करम लाज रख ले मेरी

यूँ ही मरना न हो ये मेरी नियति


राहुल उपाध्याय । 25 मई 2021 । सिएटल 


Tuesday, May 25, 2021

वही है इस जग में सबसे सुन्दर

एक उम्र हो गई है 

कोई फ़िल्म देखे

या टीवी खोले


जब ख़ुद का ही जीवन

किसी फ़िल्म से कम न हो

कोई फ़िल्म भला क्या देखे?


आज तीन घंटे उससे बात हुई

और फिर भी न कोई बात हुई 


वो ऐश्वर्या नहीं 

न हूर कोई 

किसी भी लिहाज़े से

न मशहूर कोई 


पर मुझे 

दिल-जान से चाहे

मुझे अपना साथी माने

हर तरह की बात वह समझे

न समझे तो समझने को दिन-रात जागे


जब सब कुछ इतना है उसके अंदर

तो क्यों न हो मुझे वो सबसे प्रियकर 

और उससे सुंदर कोई और क्या होगा

वही है इस जग में सबसे सुन्दर 


राहुल उपाध्याय । 25 मई 2021 । सिएटल 









नदी बहती है

नदी बहती है 

नदी कहती है

नदी

बहते-बहते

कहती है 


कहती है

सुनती नहीं 


दीवारें सुनती हैं

कहतीं नहीं 


जो सुनता है

वह कहता नहीं 


जो कहता है

वह सुनता नहीं 


राहुल उपाध्याय । 24 मई 2021 । सिएटल 

Monday, May 24, 2021

निकलें थे पैसा कमाने

निकलें थे पैसा कमाने 

अब धर्म बन गया है

किसी के लिए मर्ज़ 

किसी का ज़ख़्म बन गया है


कोई कहे ग्राहक सर्वोपरि 

कोई कहे शेयरहोल्डर

निकलें थे पैसा कमाने

अब गर्व बन गया है 


अपनी-अपनी मंशा सबकी

अपना-अपना शग़ल

निकलें थे पैसा कमाने

अब कर्म बन गया है 


कोई कहे प्यार मेरा

कोई कहे जुनून 

निकलें थे पैसा कमाने

अब सनम बन गया है 


कोई और कुछ जाने ना

ना करे मर जाए

निकलें थे पैसा कमाने

अब वहम बन गया है 


राहुल उपाध्याय । 24 मई 2021 । सिएटल 



Saturday, May 22, 2021

इतवारी पहेली: 2021/05/23


इतवारी पहेली:


हमें जब ज़रूरत थी ## ##%# की

तब वे तैयारी कर रहे थे #%##%# की


(ध्यान दें कि सिर्फ़ ## शब्द हिंदी का है। बाक़ी दोनों अंग्रेज़ी के हैं और हिंग्लिश में प्रचलित हैं। यह पहेली ताज़ा समाचारों से प्रेरित है)


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya 


आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 


सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 30 मई को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 23 मई 2021 । सिएटल















अब तो है तुमसे हे प्रभु विनती

https://youtu.be/ArVJxtqhuao


अब तो है तुमसे हे प्रभु विनती 

यूँ ही मरना हो ना मेरी नियति


अब बंद करो मुझपे ये ज़ुल्म ढाना

फिर चाहे जो भी करो दूँगा न ताना

चाहे बनाओ रातें लम्बी अब जितनी


तेरे प्यार से भगवन ख़ुश मैं बहुत हूँ 

तेरे द्वार पे रोया भी मैं बहुत हूँ 

देखो कहाँ मैं जाऊँ ले के ये भक्ति 


(मजरूह से क्षमायाचना सहित)

राहुल उपाध्याय । 22 मई 2021 । सिएटल 




Friday, May 21, 2021

अब तो है सबसे हर ख़ुशी अपनी

https://youtu.be/YAKStvVV7_M


अब तो है सबसे हर खुशी अपनी

सब पे मरना है ज़िंदगी अपनी


जब हो गया हमपे ये सच नुमायाँ

फिर चाहे जो भी कहे हमको पराया

कोई बिगाड़े बातें चाहे अब जितनी


इस राह में बदनाम कई पहले हो गए

पड़ें लाख छाले मगर रूक ना वो गए

देखो कहाँ ले जाए ये ज़िद अपनी


(मजरूह से क्षमायाचना सहित)

राहुल उपाध्याय । 21 मई 2021 । सिएटल 


मुबारक हो सबको ये टीका लगाना

https://youtu.be/t_HppQvDl9s 


मुबारक हो सबको टीका लगाना 

मैं ख़ुश हूँ मेरे साथ सभी सुर मिलाना

मैं तो दीवाना दीवाना दीवाना

मैं तो दीवाना दीवाना दीवाना


हज़ारों तरह के ये होते हैं दुखड़े

अगर मन में दम हो तो मिटते हैं दुखड़े

खुशी के पलों में बदलते हैं दुखड़े

इनसे हार सकता नहीं ये ज़माना


ये पुरवाईयाँ दे रही हैं बधाई 

आओ बाल-बच्चों करो रे पढ़ाई 

बेरोज़गार न बैठो करो रे कमाई

चलो आज चल दो करो न बहाना


ये बोले समय की नदी का बहाव

वो सुनसान गलियाँ वो सूने से गाँव 

थीं सब कल की बातें उन्हें भूल जाओ

न फिर याद करना, न मुझको दिलाना 


(आनन्द बक्षी से क्षमायाचना सहित)

राहुल उपाध्याय । 19 मई 2021 । सिएटल 

Thursday, May 20, 2021

ज़िन्दगी की दवा पा गए


https://youtu.be/eTI-ADPXVDk 


ख़तरों से घिर के भी हम

ज़िन्दगी की दवा पा गए

हमने सोचा नहीं था कभी

पा गए, पा गए, पा गए


हम थे ऐसे भँवर में फँसे

जिसकी कोई भी मंजिल न थी

हम थे दिन के अंधेरों में गुम

रात तो राख से काली थी

कोई राह जब मिली न हमें

जाने क्या-क्या ख़याल आ गए


सोचो हम कितने मज़बूर थे

करने वाले भला कर गए

पीछे मुड़ के जो देखा ज़रा

रंग वे नायाब से भर गए

क़ुर्बां खुद वे हुए तो हुए

दान जीवन का बरसा गए


राहुल उपाध्याय । 20 मई 2021 । सिएटल 

छद्म संवेदनाएँ

इस कोविड ने 

बड़ा ग़ज़ब ढाया 


पहले लोग 

इमेल में 

आटो सिग्नेचर से

प्रणाम करते थे


अब

व्हाट्सेप पर

ब्राडकास्ट से

कुशल क्षेम पूछते हैं 


एक लम्बा चौड़ा संदेश 

जिसका तात्पर्य यह कि 

आप ठीक हैं?

बड़े दिनों से

सम्पर्क नहीं हुआ

सो मन में विचार आया


जबकि पाँच मिनट पहले ही 

उन तक मेरी कविता 'पहुँची' थी 


और हद तो तब हो गई 

जब हूबहू यही शब्द 

औरों के स्टेटस पर भी 

नज़र आए


सब फ़ॉरवर्ड होते देखा

लेकिन संवेदनाएँ 

फ़ॉरवर्ड होतीं

अब नज़र आईं 


हम इतने 

अनपढ़ 

या आलसी हो गए हैं कि 

ख़ुद से कुछ लिखना

किसी को ध्यान में रखकर लिखना

कष्टकर लगता है 


ग़लती से यदि मैं

इन छद्म संवेदनाओं को

सच मान बैठता 

और जवाब दे देता

तो जैसे मेरी कविता नहीं पढी गई

वैसे ही मेरा उत्तर भी 

बिन पढ़े डीलिट हो जाता 


यदि मैं ग़लती से

फ़ोन कर देता

(जैसा कि मैं अक्सर करता हूँ)

तो हैलो-हाय के बाद ही

वे मुझसे हाथ धो लेते कि 

दो मिनट और बात की

तो कहीं धन से ही न

हाथ धो बैठें


राहुल उपाध्याय । 20 मई 2021 । सिएटल 







Wednesday, May 19, 2021

रोग से उबर जाना है

https://youtu.be/zUPJpkFFwpE


एक दिन मास्क तो हटाना है

रोग से उबर जाना है

हमें बस दिल से दिल लगाना है

रोग से उबर जाना है


ऐसी ज़िन्दगी होगी,

हर तरफ़ खुशी होगी

इतना प्यार होगा तब

ऐ मेरे सनम


तब न कोई ग़म होगा

न ये प्यार कम होगा

साथी मेरे मुझको तेरे

सर की है क़सम

सच में ये वक़्त भी आना है

रोग से उबर जाना है


मैं अकेला क्या करता

ऐसे ही आँहे भरता

तेरे प्यार के लिये

तड़पता उम्र भर


जाने क्या मैं कर जाता

यूँ तड़प के मर जाता

बिन तेरे भला कैसे

गुज़रा ये सफ़र

तेरे लिये बच के भी दिखाना है

रोग से उबर जाना है


तेरा चाँद सा मुखड़ा

तू जिगर का है टुकड़ा

तू है मेरी सपनों की

झील का कंवल


जान से तू है प्यारा,

आँखों का है तू तारा

बिन तेरे जियें नहीं

जी के भी ये पल

सब कुछ मिल के ये बताना है

रोग से उबर जाना है


(समीर से क्षमायाचना सहित)

राहुल उपाध्याय । 15 मई 2021 । सिएटल 

Monday, May 17, 2021

सत्संग न करें, रोग ने वो काम किया है


सत्संग न करें रोग ने वो काम किया है
उम्र भर के सच का प्रमाण दिया है

है कौन जो आज न जूझा प्रकोप से
दुआओं पे नहीं, दवाओं पे एतबार किया है

तूफ़ाँ से लड़ के भी हम साहिल पे आ गएँ
अपनों ने ही तो हर क़दम पे साथ दिया है 

अपने ही बचाते हैं  संकट के जाल से
है सच, ये आज हर किसी ने मान लिया है 

आओ चलो बढ़े चलें हिम्मत से काम लें
होगा वही जो हम सबने ठान लिया है

राहुल उपाध्याय । 15 मई 2021 । सिएटल

Sunday, May 16, 2021

इतवारी पहेली: 2021/05/16

इतवारी पहेली:

मिले राजा भी ### #

ज़िन्दगी मीठी # ## #


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya 


आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 


सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 23 मई को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 16 मई 2021 । सिएटल















Saturday, May 15, 2021

आते-जाते रास्तों में गीत भी बोओ कभी

मौत रही सस्ती हमेशा से ज़िंदगी ही है क़ीमती 

मान लो मेरी बात मुझसे राज़ी है हकीम भी 


आपकी बातें मेरी समझ में कुछ आतीं नहीं 

या तो आप या मैं ही हूँ शायद अफ़ीमची


हमारे हैं तंज वार और आप भी कुछ कम नहीं 

ख़ूब पटेगी हमारी और होगी खूब जंग भी 


गले मिलने से सारे घुल जाते हैं शिकवे

कौन जाने कब भला आएगी वो रूत भी


आते-जाते रास्तों में गीत भी बोओ कभी

क्या पता कब शाम हो और सुबह की न हो राह भी


राहुल उपाध्याय । 15 मई 2021 । सिएटल 




Thursday, May 13, 2021

हमें डर हो गया है

https://youtu.be/hh3qd9QYagA


मिलो न तुम तो हम घबराएँ

मिलो तो मास्क लगाएँ

हमें डर हो गया है

मिलो न तुम तो हम मर जाएँ

मिलो तो निपट न जाएँ

हमें डर हो गया है


ओ भोले साथिया

रोग ज़माने में न एक हैं

तारें गगन में जितने

उससे भी ज़्यादा अनेक हैं

ले के दवा भी न मिट पाए

ऐसे रोग हैं हाय

हमें डर हो गया है


जीते कभी, कभी हार गएँ

हदें हमारी हम जान गएँ

ऐसी बलाएँ, क़ुरबान गएँ

इसे मिटाए वो बढ़ जाए

क्या-क्या नाज़ उठाएँ

हमें डर हो गया है


ओ सोहने जोगिया

हम हैं अभी भी इंसान रे

कर लें फ़तह क़िले कितने

फिर भी हैं अनजान रे

कौन हमें जो यहाँ पे लाया

कौन हमें ले जाए

हमें डर हो गया है


राहुल उपाध्याय । 13 मई 2021 । सिएटल