बस यही अपराध मैं हर बार करता हूँ
व्हाट्सेप के ज्ञान पे एतबार करता हूँ
कोई कहे स्वर्ग
कोई कहे नर्क
है ये धरती पर
किस की छोड़ूँ
किस की मानूँ
हर कोई लीडर
हर किसी की बात मैं
स्वीकार करता हूँ
मैं हूँ हँसता
मैं हूँ रोता
हर पोस्ट पढ़ कर
कोई समय नहीं
कोई पहर नहीं
दिन-रात पल-पल
मैं ये ग़लती एक नहीं
कई बार करता हूँ
मैं न हिन्दू
मैं न मुस्लिम
मैं हूँ एक सिफ़र
जो जो समझे
वो नहीं मैं
मैं हूँ एक सिफ़र
मैं हूँ क्या मैं खुद नहीं
विचार करता हूँ
राहुल उपाध्याय । 2 मई 2021 । सिएटल
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